आई.पी.एल और कोविड पेन्डेमिक

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आई.पी.एल और कोविड पेन्डेमिक

कोरोना पानडेमिक के इस घातक दूसरे Wave के दौरान आई.पी.एल. का होना आम लोगो को सब से ज्यादा frustrate कर रहा है क्या इस माहौल में आई.पी.एल. होना जायज़ है।

नमस्कार, संवेदना हॉस्पिटल अहमदाबाद से में मनोचिकित्सक डॉ. मृगेश वैष्णव आज Indian Premiere League के बारे में कुछ कहना चाहता हूँ।

मनोचिकित्सा विज्ञान  IQ यानी Intelligence quotient, EQ यानी Emotional Quotient, और SQ यानी social Quotient  का सही विकास होने पर जोर देता है। इसी तरहा से PQ यानी Playfulness Quotient भी जरूरी है। इसीलिए Pandemic में आप Playful रहे ये जरुरी है। लेकिन आई.पी.एल. क्या जरूरी है ?

सोचिये आप Corona के Hotspot दिल्ही, बॉम्बे, अहमदाबाद जैसी जगह पे आई.पी.एल. का आयोजन कर रहे है। सारे प्लेयर्स को BioBubbles में रख रहे है। इनमे सिर्फ प्लेयर्स ही नहीं, सपोर्ट स्टाफ, ड्राइवर्स, सिक्योरिटी स्टाफ ऐसे सेंकडो लोगो का बायो बबल बना रहे है। कितनी Cost  होगी इसकी ? इससे जो कमाई होगी वो सरकारी तिजोरी में नहीं BCCI में जायेगी। IPL Sports Event नहीं है। Commercial और सट्टेबाजों की event है। अगर Olympics या एसियन गेम्स होती तो अलग बात थी। ये entertainment event है। और ऐसे शहरों में entertainment हो रहा है जहां oxygen , Hospital bed उपलब्ध न होने पर लोग दम तोड़ रहे है।

सुना है Bio Bubble में जो लोग है उनकी सुरक्षा के लिये oxygen bed, ICU facility अलग राखी है। अगर यह सच है तो आम आदमी जो इसके अभाव से मर रहे है इनके जीने के हक्क को आप छीन नहीं रहे है ?

अब आई.पी.एल. के प्लेयर्स को कोविड हो रहा है, तब आप इसको रोकेंगे या नहीं… जहाँ लोग मर रहे होते है वहा Mounning होती है। Dead Body किसी की हो उसे Respect सब देते है। इसी शहेरोमे लाशो के ढेर के बीच चोक्के और छक्के पर तालियाँ बजाने वाली Commentary का क्या मतलब है ? क्या यह मृतक का मजाक नहीं है ?

ऐसे तमाशे देखकर लोग हताश है, प्रशाशन पर गुस्से में है। में तो ये मानता हूँ की IPL कोई खेल नहीं है, ये Playfulness Quotient नहीं लगता है बलकि ये Commercial event है, entertainment है, सट्टेबाजों का त्यौहार है। भलाई इसी में है की इसे तुरंत रोक दिया जाय और आजतक की सारी कमाई Covid Fund में ले ली जाय।

नमस्कार। जयहिन्द।